निष्पक्ष पत्रकार अभिसार शर्मा को मिली धमकियों- गालियों की हुई कड़ी निंदा
नई दिल्ली (अनवार अहमद नूर)। मीडिया में भी घुसपैठिए आ गए हैं जो पत्रकारिता के आदर्शों- सिद्धांतों और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं इसलिए देश की जनता उन्हें गोदी मीडिया ,गो बैक, जाओ झूठ दिखाओ, भड़वा, बिकाऊ और दलाल जैसे अपशब्दों और घटिया नारों से पुकार रही है। सच्ची और अच्छी पत्रकारिता तथा पत्रकारों को सामने आकर इन धूर्त - मक्कारो को सबक सिखाना चाहिए, ताकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अपना मान -सम्मान, अस्तित्व और गौरव बचा सके", ऐसे ही विचारों के साथ एक बैठक प्रेस एरिया, बहादुर शाह जफर मार्ग, नई दिल्ली में संपन्न हुई, जिसका सफल संचालन सायबान अखबार के संपादक जावेद रहमानी ने किया । यह बैठक ऐसे समय में आयोजित की गई जब देश के निष्पक्ष और सच्चे पत्रकारों को असामाजिक और गुंडा तत्वों तथा एक विशेष वर्ग, विचारधारा के उग्र एवं उपद्रवी तत्वों द्वारा लगातार धमकियां और गंदी गंदी गालियां देने का घिनौना कार्य किया जा रहा है तथा सच्ची पत्रकारिता को दबाने, झुकाने , मिटाने की कोशिशें की जा रही हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए वेबवार्ता न्यूज़ एजेंसी के संपादक सईद अहमद ने कहा कि मीडिया पर ऐसे गंदे आरोप पहली बार लगे हैं । गोदी मीडिया शब्द सरकार के दलालों के रूप में आया है। पूरी मीडिया की छवि खराब हो या वह गोदी मीडिया है यह पूरी तरह गलत है। गिनती के कुछ लोग दिखने और बिकने वाले लोग हैं जिनकी हरकतों से मीडिया की बदनामी वाली स्थिति आई है लेकिन अच्छे और सच्चे तथा छोटे-छोटे पैमाने पर जो मीडिया के पिलर उभरे हैं वह प्रशंसनीय है। जो इक्का-दुक्का बड़े बैनर या बड़े दर्पण हैं उसमें यह गंदी एंट्री- घुसपैठ हुई है ,लेकिन देश की 90% मीडिया , देश के लिए काम कर रही है । देश को अभी तक जोड़े रखने का काम देश की मीडिया ही कर रही है।
शांति मिशन के उप संपादक अनवार अहमद नूर ने ऐसे तत्वों की जो सच्चे पत्रकारों की आवाज दबा देना चाहते हैं और गालियों तथा धमकियों का सहारा ले रहे हैं की निंदा भर्त्सना करते हुए पत्रकार अभिसार शर्मा, रवीश कुमार, बरखा दत्त, बुशरा शेख, उमर रशीद के साथ हुए दुर्व्यवहार को लोकतंत्र और पत्रकारिता पर हमला बताया। इन पत्रकारों के साहस और निष्पक्षता की भूरि भूरि भूरी प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने गोदी मीडिया और दलाल मीडिया की संज्ञा जनता द्वारा झेलने वाले कथित पत्रकारों से मांग की ,कि वह अपना आत्म निरीक्षण और सही- सही आंकलन करें कि वह एक अच्छे शब्द राष्ट्रवाद का नाम लेकर जिस झूठ या सरकारी फरमान को ,जनता पर थोपने को , पत्रकारिता कह रहे हैं वह सरासर गलत है, उसे ठीक कर लें अन्यथा इस क्षेत्र को शर्मसार - गंदा करने- कराने का कार्य बिल्कुल न करें। राब्ता टाइम्स के ग्रुप संपादक इकबाल खान ने पत्रकार अभिसार शर्मा को मिली धमकियों और गालियों की घोर निंदा की तथा रवीश कुमार और इन जैसे पत्रकारों को धमकियां देने वालों के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने सच को सच और झूठ को झूठ कहने वालों को ही पत्रकार माना और गलियों तथा स्वयं जाकर कवरेज करने वाले तथा सच्चाई दिखाने वाले पत्रकारों की प्रशंसा की ।
अमन न्यूज़ के असलम बर्नी ने पत्रकारों को आव्हान किया कि वह रवीश कुमार जैसी सच्ची और अच्छी पत्रकारिता करें, उन्होंने कारपोरेट व्यापारी हो चुके कुछ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दुत्कारा और कहा कि उन्हें पत्रकार या मीडिया कहना ही गलत है । आज मेहनती पत्रकार , सोशल मीडिया, फेसबुक, यूट्यूब चैनल से भी आ रहे हैं । बड़े दुर्भाग्य की बात है कि वर्तमान सरकार ऐसे लोगों को फंडिंग कर रही है जो गोदी गोदी चिल्ला रहे हैं । देश - जनता के हितत में काम करने वालों को सरकार उपेक्षित कर रही है । उन्होंने घर-घर से रवीश कुमार जैसे पत्रकारों को तैयार करने की बात भी कही।
समाजसेवी डॉक्टर नदीम ने कहा कि जंगे आजादी से लेकर आज तक पत्रकारिता की विशेष भूमिका रही है लेकिन बाजारीकरण के चलते कुछ ऐसे तत्व पत्रकारिता में आ गए हैं जिन्हें कहीं और होना चाहिए क्योंकि जो दिखाना चाहिए वह नहीं दिखाया जा रहा है और जो नहीं दिखाना चाहिए वह दिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों का उद्देश्य हमेशा देश, जनता और समाज का भला होना चाहिए, इसमें स्वार्थों और अवैध लाभ का कोई स्थान नहीं है। जावेद रहमानी ने अपनी बात भी संचालन के बीच बीच में रखी कि मीडिया की महत्ता को लोकतंत्र में नकारा नहीं जा सकता। लोगों की आवाज और सच को सामने लाना ही पत्रकारिता है यकीनन लोग जब नाराज होते हैं या गोदी मीडिया या गो बैक जैसे अपशब्दों को निकालते हैं तो इसकी कोई ना कोई वजह होती है। पत्रकार का जनता के सच के साथ खड़ा रहना अति आवश्यक है । यदि कड़कड़ाती ठंड में जनता सड़कों पर उतर कर किसी सरकारी फरमान का विरोध प्रकट कर रही है और मीडिया सच्चाई दिखाने की बजाय उन्हें उपद्रवी हिंसक बता रहा है तो फिर नाराज़गी या गुस्सा तो झेलना ही पड़ेगा । पत्रकारिता में कुछ तत्वों ने एक रैकेट बना लिया है और वह अपने आप को मीडिया बता रहे हैं ,समझा रहे हैं , जबकि ऐसा नहीं है । सोशल मीडिया से भी एक अच्छी पत्रकारिता निकल कर आई है जो प्रशंसनीय है ।
अंग्रेजी दैनिक ट्रांसपेरेंट न्यूज़ के अज़हर इमाम का कहना था कि आजकल कुछ डिबेट वास्तव में ऐसे हो रहे हैं जिन से पत्रकारिता का स्तर गिरता जा रहा है। पत्रकारों को अपना आंकलन करना चाहिए कि उनकी पत्रकारिता कैसी और किधर जा रही है । बैठक में डेब्रेक उर्दू दैनिक के इमरान कलीम ने भी भाग लिया।