<no title> शाबाश योगी : उत्तर प्रदेश सरकार से अन्य सरकारें सबक लें

शाबाश योगी : उत्तर प्रदेश सरकार से अन्य सरकारें सबक लें


देश कोरोना के दंश से भयभीत है लेकिन उससे ज्यादा भयभीत है वह अभावों से। मजदूरी के वास्ते देश के कोने कोने से आये अपने ही देश के विभिन्न प्रान्तों में मजबूर लोगों की दास्ताँ कुछ इसी तरह के हालात बयान करती है। मीडिया के फसे और छुपे जाल में गरीब के लिए कुछ नहीं है। उसके हिस्से में अगर कुछ है तो वह है सब्र, अभाव और पुलिस के डंडे। जब किसी का नौनिहाल बच्चा भूख से बिलखता है तो उन माँ बाप पर क्या गुजरती है कोई दूसरा उसका एहसास कैसे कर सकता है। पैसों की किल्लत और दवा के अभाव में जब परिजन तडपता है तब उस पर क्या गुजरती है कोई दूसरा कैसे एहसास कर सकता है। वक़्त और हालात के लिए जरूरी लाक डाउन कई बार टूटा तो कई बार तोडा गया। बाकी सरकारों के खोखले दावों की जगह उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने आगे बढ़कर कदम उठाये। उन्होंने पहले लाक डाउन के समय घबरा कर सड़कों पर उतर आये प्रवासी नागरिको के लिए थोड़ी बहुत व्यवस्था की। घोषणा तो उनकी बड़ी थी लेकिन वह अपनों की आलोचना के चलते पूरी नहीं कर सके थे। उन्होंने कहा था कि प्रवासी नागरिकों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार 1000 एक हजार बसे चलाएगी। लेकिन जब उनकी लोंगो ने आलोचना शुरू की तो वे चुप्पी साध गए।  



लेकिन राजस्थान के कोटा में फसे छात्रों के मामले में उनका भी सब्र जवाब दे गया। और जनता की सर्कार जन हित में उतर आई। उन्होंने आनन-फानन में उत्तर प्रदेश के आगरा और झांसी से 300 बसे चलाये जाने का एलान कर दिया। उनके इस फरमान के साथ सोशल डिस्टेंस का पूरा ख्याल रखने प्रत्येक छात्र का मेडिकल परीक्षण करने और जिनमे कोरोना सम्बंधित कोई भी गुण पाए जाने पर कोरन टीन किये जाने की भी पूरी व्यवस्था की गई। जो वक़्त और हालात के हिसाब से जरूरी थे।


उनकी इस पहल से मजदूर और मजबूर फसे और छुपे लोगों के लिए आशा की किरण जगी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा देर से ही सही जनहित में कदम तो उठाया। शायद योगी जी के इस कदम का गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और केरल सहित अन्य प्रदेशों की सरकारे भी कुछ सबक लें। 


लेखक वेब वार्ता समाचार एजेंसी के संपादक हैं।