या खुदा रहम

अभी दुनिया कोरोना के कहर से दो चार हो रही है। इसी बीच विशाखापट्नम से गैस रिसने की खबर आ गई। विशाखापट्टनम स्थित एक निजी फार्मा कंपनी के प्लान्ट से गुरुवार सुबह गैस लीक हो जाने के कारण 8 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 1000 से ज्यादा लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। इनमें 80 लोगों की हालत गंभीर है, जिन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है।  



बताया जा रहा है कि गैस के रिसाव के कारण 5000 लोग बीमार हैं और प्लान्ट के आसपास करीब 3 किलोमीटर के दायरे में दहशत का माहौल बन गया है। काफी लोग सड़कों पर बेहोश पड़े हुए हैं, वहीं कई लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। लोग आंखों में जलन की शिकायत कर रहे हैं और उनके शरीर में रैशेज भी हो रहे हैं। फिलहाल प्लान्ट के आसपास के 5 गांवों को खाली करा लिया गया है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि और भी लोग इससे हताहत हो सकते हैं।



इस खबर ने एक बार फिर भोपाल गैस त्रासदी की यादें ताज़ा करा दी। जिसकी याद आते ही आज भी रूह कांप जाती है। भोपाल गैस त्रासदी क्या बिलकुल कयामत का मंज़र था। चारो और अफरा तफरी मची थी, किसी के कुछ समझ नहीं आ रहा था। भागम भाग लेकिन क्यों और भाग कर जाना कहां है, कुछ भी पता नहीं। जैसा की धर्म ग्रंथों में क़यामत का वर्णन है, ठीक वैसा ही मंज़र। कोई किसी का नहीं। खुले घर छोड़कर लोग भाग रहे थे, दरवाजा लगाने का भी वक़्त नहीं था किसी के पास। ज़िन्दगी की जमा पूँजी छोड़कर भाग रहे थे। महिलाओं की सबसे ज्यादा पसंदीदा चीज जेवर की फ़िक्र किये बगैर भाग रही थी। हद तक की जिस माँ की औलाद घर में छूट गई वह औलाद की फ़िक्र किये बिना भाग रही थी। जिसने फ़िक्र की और औलाद की तड़प में वापस घर की और आई तो न वह बची और न उसकी औलाद। अजीब बदहवाशी थी अजीब मंज़र था। चारो और लाशें ही लाशें, कुछ की शिनाख्त हुई, कुछ को उनकी पोशाकों के अनुसार अंतिम संस्कार कराया गया। क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम और क्या सिख और इसाई। सिर्फ कपड़ो के अनुमान से उनका धर्म उनको थोप दिया गया।


जिन महिलाओं ने बेपर्दा बाहर कदम न रखा हो, जिनके कदम जमीं पर रखते ही मैले हो जाते हो, जिनके कदमों में नजाकत भरी हो। वे कदम कुछ घंटो में कई कई किलोमीटर का सफ़र तय कर चुके थे। आज भी उस घटना को याद कर दिल दहल जाता है। लेकिन वह हादसा सामान्य दिनों का था। भोपाल को छोड़कर बाकी जिले, अन्य प्रदेश और पूरी दुनिया मदद के काबिल थी।


लेकिन यह दौर तो महामारी का है, जिस महामारी से पूरी दुनिया रूह्बरू हो रही है। सब कुछ लाक डाउन है। बड़े से बड़े बाहुबली देश भी मोहताज़ हो रहे है। सभी मदद चाहते है। लेकिन कौन किसकी मदद करे। सभी को अपनी अपनी पडी है। जिस देश के पास जो कुछ भी संसाधन है वह अपनी अपनी जनता के लिए बचाए रखना चाहता है। जिस परिवार के पास कुछ है वह अपने परिवार के सदस्यों के लिए रखना चाहता है। आप बाहर निकल नहीं सकते। पहले ही 60 प्रतिशत बेरोजगारी थी। अब 100 प्रतिशत बेरोजगारी के बाद आप कल्पना कीजिए की जीवन कैसा चल रहा होगा। सिर्फ कल्पना, हकीकत तो उससे भी ज्यादा भयावह है। अभाव में जो जीता है वही जानता है। इसमें वह गरीब है जिनकी गरीबी सबको दिखती है। लेकिन इसमें वह रहीस रूपी गरीब भी शामिल है जो बाहर से खुश रहने का चमकदार पर्दा डाले रहते है और अन्दर से तो रोज के मजदूर से भी कमजोर है। वे झूठा इनकम टैक्स भी भरते है। जाहिर गरीब तो सरकारी मदद भी ले लेगा। लेकिन झूठ और शान के साए में रह रहा गरीब मदद मिलने पर भी नहीं ले पायेगा। उसका जमीर गवारा नहीं करेगा।


खैर इस वक़्त विशाखापटनम में हुए गैस त्रासदी की बात हो रही थी। यह त्रासदी जिस वक़्त आई उस वक़्त तो जिला क्या, प्रदेश और देश क्या पूरी दुनिया कोरोना कहर से जूझ रही है। तब विशाखापट्नम वासियों के लिए यह क़यामत कितनी भयावह होगी, कल्पना से भी परे है। घर में सोता हुआ इंसान सोता ही रह जाता है। आँखों में जलन और घुटन से बेचैन इंसान लाक डाउन तोड़कर सडको पर आता है और सड़क पर ही लाश में तब्दील हो जाता है।


या खुदा बेशक हम मानते है कि यह सब हमारी गलतियों का नतीजा है। लेकिन हम आपसे हाथ फैलाकर, हाथ जोड़कर, हाथ बांधकर दुआ मांगते है, प्रार्थना करते है, प्रेयर करते है हम सबको माफ़ कर दे। उन्हें भी माफ़ कर जो समझदार है, हुक्मरान है, समाजसेवी है, देश भक्त है, राष्ट्रवादी है, आतंकी है, अतिवादी है, धर्म अधर्म वादी है, नफरत वादी है, दंगाई है। महामारी के दौर में भी लोग महामारी के नाम पर चंदा उगाही करने वाले हो या फिर जाति धर्म के नाम पर नफरत फ़ैलाने वाले। सबको माफ़ कर दीजिये। ये हम सबके रब आप तो रहम करने वाले है, आप तो करम करने वाले है। आप तो अपनी मखलूक से 70 माओं से ज्यादा प्यार करने वाले है। आप तो माफ़ करने वाले है। आप माफ़ कर दीजिये। आपको अपने महबूब का वास्ता, आपको नौनिहालों का वास्ता, आपको बेजुबानों का वास्ता, आपको बेगुनाहों का वास्ता। माफ़ कर दीजिये।


हम तो गुनाहगार है, खताकार है, हमारे अन्दर हसद, जलन, प्रतिस्पर्धा भरी पडी है। हे मेरे प्रभु हम लोगों का इम्तिहान न लीजिये, हम आपके किसी इम्तिहान को पास नहीं कर सकेंगे। ये प्रभु, हे ईश्वर आप तो सर्वशक्तिमान है। अब और नहीं, इन बलाओं को हम सबके ऊपर से टाल दीजिये। इन बलाओं को हम सबके लिए, इबरत का और हिदायत का माध्यम बना दीजिये। आपस में मोहब्बत पैदा कर दीजिये, नफ़रत को दफ़न कर दीजिये। ये हम सबके रब अगर आपने माफ़ नहीं किया तो हम कहीं के नहीं बचेंगे। हमारी शक्ति, हमारी शान, हमारा ज्ञान, हमारा विज्ञान हमारी ताकत सब झूठा है। हम सबको माफ़ कर दीजिये।